Wednesday 11 February 2015

कैंसर सेलों की कार्यप्रणाली



हर मानव शरीर में सेलों की बढ़त नियंत्रित रूप से होती है। नवीन सेल शरीर में उतने ही पैदा होते है जितने की शरीर को आवश्यकता होती है या सेल मर जाते है उनके स्थान को भरने के लिये इनकी बढ़त होती है किंतु ट्यूमर सेलों का एक समूह होता है जो कि अनियंत्रित रूप से बढ़ता है और विकसित होता है। उनकी बढ़त नियंत्रित नहीं होती है। ये ट्यूमर दो प्रकार के होते है जिसमें पहला बीनायन (Benign) जिसे कैंसर रहित कहा जाता है और दूसरा मेलिगनेन्ट(Malignant) जिसे कैंसर वाला कहा जाता है। बीनायन ट्यूमर की बढ़त बहुत धीमी होती है ये फैलते नहीं है। जबकि मेलिगनेंट ट्यूमर तेजी के साथ बढ़ते है और अपने पड़ोसी सामान्य टिश्युओं को नष्ट करते है। ये संपूर्ण शरीर में फैल जाते है। कैंसर शब्द का उपयोग उस समय किया जाता है जब मेलिगनेन्ट ट्यूमर होता है जो अपनी असीमित बढ़त से मानवीय शरीर को प्रभावित करने लगता है। यह कैंसरसेलों को मानवीय टिशुओं मंे प्रविष्ट करता है व ट्यूमर अन्य टिशुओं में कैंसर के सेलों को भेजने लगता है।
वास्तविक ट्यूमर को ‘‘प्राथमिक ट्यूमर’’ नाम दिया गया है। सेल्स इस ट्यूमर से संपूर्ण शरीर की यात्रा कर सकते है और शरीर के विभिन्न अंगों में नवीन ट्यूमरों का निर्माण कार्य प्रारंभ कर सकते है। दूसरे सेकेन्डरी ट्यूमर होते है जो कैंसर से युक्त सेल रक्त के माध्यम से या लिम्फेटिक प्रणाली के माध्यम से शरीर की यात्रा कर सकते है। लिम्फेटिक सिस्टम छोटी-छोटी रक्त वाहिकाओं की नालियाँ होती है जो सेलों से उत्सर्जित पदार्थ एकत्रित करती है और इसे बड़ी वेसल में ले जाती है और अंत में उसे लेम्फनोड मंे डाल देती है। यह तरल पदार्थ जो लिम्फ फ्लूड के नाम से जाना जाता है, रक्त वाहिकाओं में डाल दिया जाता है।




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